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ज़िंदगी का सच


रिश्ते और रास्ते 
ज़िन्दगी के दो पहलू  हैं।  
कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते  खो जाते हैं,
कभी  रास्ते पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं।   
कुछ को रास्ते  रास आ जाते है और कुछ को रिश्ते। 
फर्क बस इतना है 
रास्ते का गम बर्दाश्त हो जाता है और
रिश्ते का दुःख जीवन भर की उदासी बन जाता है । 

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